गिरधरपुर में श्रीराम कथा में शिव सती चरित्र का सुन्दर वर्णन, कथा श्रवण के लिए उमड़ भीड़

बड़हिया ।
प्रखंड के गिरधरपुर में आयोजित नौ दिवसीय श्री राम महायज्ञ के तीसरे दिन राम कथा ज्ञान यज्ञ में अयोध्या से पधारी कथावाचिका  साध्वी जया किशोरी मिश्रा ने माता सती व भगवान शकर की कथा सुनाई।कथा का वर्णन करते श्रोताओं को बताया कि वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी को एक-दूसरे की बात पर भरोसा करना चाहिए। अगर इस रिश्ते में अविश्वास आता है तो रिश्ते बिगड़ सकते हैं। ये बात शिवजी और सती की एक कथा से भी समझ सकते हैं।कार्यक्रम के दौरान संगीतमय भजन-कीर्तन का दौर भी चला। कथा सुनने के लिए मंगलवार की रात को सैकड़ों की तादाद में महिला पुरुष एकत्रित हुए पंडाल में भक्ति का माहौल छाया रहा। इससे पहले आरती का कार्यक्रम हुआ। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। हर कोई भक्ति में लीन भजनों पर झूमते दिखाई दिए।
कथावाचिका ने कहा कि सती चरित्र के साथ-साथ शिव चरित्र सत्य की कथा का वर्णन करते श्रोताओं को बताया कि  देवी सती के पिता प्रजापति दक्ष थे। सती ने भगवान शिव से विवाह किया था। इस विवाह से दक्ष प्रसन्न नहीं थे। प्रजापित दक्ष ने हरिद्वार में भव्य यज्ञ का आयोजन किया और शिव-सती को छोड़कर सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया। सती को ये बात नारद से मालूम हुई तो वह यज्ञ में जाने के लिए तैयार हो गईं। शिवजी ने माता सती को समझाया कि बिना बुलाए यज्ञ में जाना ठीक नहीं है, लेकिन सती नहीं मानीं। शिवजी के मना करने के बाद भी सती अपने पिता के घर यज्ञ में चली गईं। जब सती यज्ञ स्थल पर पहुंची तो उन्हें मालूम हुआ कि यज्ञ में शिवजी के अतिरिक्त सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया है।
 ये देखकर सती ने पिता दक्ष से शिवजी को न बुलाने का कारण पूछा। जवाब में दक्ष ने शिवजी का अपमान किया। अपने पति का अपमान देवी सती से सहन नहीं हुआ और उन्होंने हवन कुंड में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। जब ये बात शिवजी को मालूम हुई तो वे बहुत क्रोधित हो गए और शिवजी के कहने पर वीरभद्र ने दक्ष का सिर काट दिया। स्त्रियों को सदैव पति की बात माननी चाहिए। पति ही परमेश्वर है। कोई भी स्त्री यदि अपने पति को दुखी नहीं रखती, उसकी हर बात मानती है, पतिव्रता धर्म निभाती है तो वह कभी दुखी नहीं रह सकती है। बताया कि शिव चरित्र सत्य की कथा है क्योंकि शिव सत्य हैं शिव ही शाश्वत हैं।यह पवित्र संस्कार है। लेकिन आधुनिक समय में प्राणी संस्कारों से दूर भाग रहा है। जीव के बिना शरीर निरर्थक होता है। ऐसे ही संस्कारों के बिना जीवन का कोई मूल्य नहीं होता।कभी भी बिना बुलाए किसी के घर या किसी कार्यक्रम में जाना ठीक नहीं है। अगर पति सही बात कहे तो उसे तुरंत मान लेना चाहिए, उसका अनादर नहीं करना चाहिए। पुत्री या किसी अन्य स्त्री के सामने उसके पति की बुराई या अपमान नहीं करना चाहिए।

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