सम्मान समारोह के साथ संपन्न हुआ शताब्दी समारोह

 

बड़हिया नगर स्थित श्री जगदंबा हिंदी पुस्तकालय के सौ वर्ष पूरे होने पर आयोजित दो दिवसीय शताब्दी समारोह का समापन सोमवार को बड़े ही धूमधाम से किया गया. मौके पर गांव की कहानी, सर्वभाषा कवि गोष्ठी, बड़हिया के किस्से, नुक्कड़ नाटक व संस्कृति कार्यक्रम सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. दो दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में देश के अलग-अलग राज्यों से आये कवियों ने शहर को काव्य रस से सराबोर रखा.कार्यक्रम में औज, वीरता, देशभक्ति, नारी सशक्तिकरण सहित रस भी देखने को मिला काव्य गोष्ठी में आये कवियों की कविताओं में वर्तमान में घटित घटनाओं की छाप देखने को मिली समापन कार्यक्रम का शुभारंभ गांव की कहानी से हुई, कार्यक्रम में दिल्ली से आया सिनीवाली शर्मा ने दूल्हा बाबू, कमलेश ने बबुआन तो पंकज मित्र ने बिलोती महतो की उधार की खेती कहानी पढ़ी .

कार्यक्रम का संचालन कुमार सुशांत ने किया उन्होंने कहा कि इन तीनों की कहानियों में अगर प्रेमचंद का वैचारिक ताप था, तो रेणु का लोकरंग भी उसी ठाठ के साथ मौजूद था. ये कहानियां मनुष्यता के पक्ष में एक ऐसा आहान है, जिसे अनसुना नहीं किया जा सकता, सर्वभाषी कवि गोष्ठी के संचालन करते हुए कवि डॉ राम बहादुर चौधरी चंदन कहा कि पहली सी लगे. लेकिन हकीकत है चंदन, गजल में शेर होते हैं मगर जंगल नहीं होता, कवि राजेंद्र राज ने अपनी कविता प्रस्तुत करते हुए कहा कि लिपटती जा रही तदयों चारों तरफ जैसे, सफर में कौन निकले हैं खाइयां चारों तरफ जैसे, बच्चा किस तरफ दमन समझ में कुछ नहीं आता, पड़ी है हर तरफ रुसवाईयां चारों तरफ जैसे वहीं कवि कृष्णनंदन चौधरी ने कर कि जिंदगी में मरने का गम नहीं पढ़ने का मजा कुछ और होता है; तमाम कोशिशों के बावजूद तकदीर का भी जोर  होता है. इसके अलावे स्थानीय कवि रौशन अनुराग, राममूरत ने भी अपनी कविता प्रस्तुत कर उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया, नुक्कड़ नाटक व संस्कृति कार्यक्रम में बड़हिया नगर स्थित शिव शक्ति पब्लिक स्कूल, डीपीएस स्कूल, बाल प्रतियोगिता विद्यालय के छात्र छात्राओं के द्वारा बारे ही आकर्षक नुक्कड़ नाटक व संस्कृति कार्यक्रम प्रस्तुत किया. कार्यक्रम समापन पर सभी अतिथियों को सम्मानित किया गया।

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