चैत छठ पूजा मे अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को व्रतियों ने दिया अर्घ्य!

बड़हिया
चैती छठ के अवसर पर रविवार को व्रतियों ने  अपने अपने घरों में पोखर बनाकर व बड़हिया गंगा नदी में खड़े होकर अस्ताचलगामी
भगवान सूर्य को को फल और कंदमूल से पहला अर्घ्य अर्पित किया। इस दौरान महिलाओं ने विधि विधान के साथ सूर्य की पूजा- अर्चना कर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की नगर  में करीब 4 बजे के बाद से व्रती महिलाएं अपने परिवार वालों के साथ  सूर्य के अस्त होने से पहले ही घर व गंगा घाट के पानी में खड़ी हो गईं। उसके बाद अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया।  सोमवार सुबह व्रती महिलाएं उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगी।
साल में दो बार की जाती है छठ पूजा
महापर्वछठ साल में दो बार यानी कार्तिक और चैत्र माह में होता है। जिसमें लोग भगवान भास्कर की अराधना करते हैं। चैत्र छठ बहुत कम लोग मनाते हैं। कार्तिक माह में यह महापर्व बड़ी संख्या में लोग मनाते हैं।
चैत माह में भी बड़हिया  में श्रद्धालु छठ महापर्व करते हैं। रविवार बड़हिया गंगा  घाटों पर पहुँच कर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया ।कई छठ व्रती  अपने अपने घर के आंगन व छत पर ही पोखर बनाकर भगवान भास्कर का अर्घ दिया।
शनिवार को खरना के बाद से व्रतियों ने 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू कर दिया था। रातभर व्रतियों ने छठी मइया की आराधना की। घर-घर छठी मइया के गीत गाये जा रहे थे। ऐसे में सुबह कब हो गई, व्रतियों को पता तक नहीं चला। रविवार को दिन चढ़ने के साथ ही व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य प्रदान करने के लिए उत्साह चरम पर पहुंच चुका था। दोपहर के बाद से ही व्रतियों के कदम गंगा घाटों, नदी, तालाबों और पोखराें की ओर बढ़ने शुरू हो गये। शाम होते ही घाट व्रतियों से पट गये थे।

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