सत्तू, नए आम और गुड़ खाकर मनाया सतुआन

 

बड़हिया

लोक आस्था का पारंपरिक त्योहार सतुआन पूरी श्रद्धा के साथ आज मनाया गया। सूर्य के मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करने पर मनाए जाने वाला यह पर्व सूर्य देव के समर्पित होता है। इस अवसर पर लोग स्नान दान किया । चना, मटर, जौ व मकई के मिश्रित सत्तू और कच्चे आम की चटनी का भोग इस दिन को लगाया जाता है। घरों में देवी-देवताओं की पूजा तो लोग करते ही हैं, मंदिरों में भी इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ पूजा-पाठ करते हैं। देवी-देवता को सत्त, गुड़ और आम का टिकोरा चढ़ाने की परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है। पड़ितों के सूर्य ने मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करने पर यह पर्व मनाया जाता है। आज भगवान विष्णु की भी अराधना जाती है। सूर्य के मेष राशि में प्रवेश कर जाने के बाद आज से खरमास समाप्त हो जाता है। आज से ही मांगलिक कार्य शुरू हो जाता है।

गर्मी के दिनों में दोपहर में गांव-देहात के लोग सत्तू खाना काफी पसंद करते हैं। बाग-बगीचे से आम का टिकोले चुनकर लाते हैं। चना, जौ, मकई और मटर मिश्रित सत्तू के साथ आम के टिकोले की चटनी का लोग खूब आनंद लेते हैं। शहरों में बहुतेरे लोग सत्तू खाना पसंद करते हैं।

मेष संक्रांति के दिन ही सतुआन का पर्व मनाया जाता है. इस दिन सूर्य मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करता है. उत्तर भारत के कई राज्यों में इसे सतुआन के तौर पर मनाया जाता है. बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल हिस्से में सतुआन का पर्व मनाया जाता है. इस दिन सत्तू को उनके इष्ट देवता को अर्पित किया जाता और प्रसाद के तौर पर सत्तू का सेवन किया जाता है.

क्या होता है सतुआन पर्व में-
मेष संक्रांति को ही कई राज्यों में सतुआन पर्व के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन सत्तू खाने की परंपरा काफी समय से चली आ रही है. मिट्टी के बर्तन में पानी, गेहूं, जौ, मकई और चना का सत्तू रखा जाता है. इसके साथ आम का टिकोरा भी रखा जाता है और भगवान को भोग लगाया जाता है. इसके बाद प्रसाद के तौर पर सत्तू खाया जाता है. झारखंड, यूपी और बिहार के कई इलाकों में गर्मी के मौसम में दोपहर में सत्तू खाने का रिवाज है. सत्तू को सेहत के लिए अच्छा माना जाता है.

क्यों मनाया जाता है यह पर्व-
सतुआन का पर्व बैसाख माह के कृष्ण पक्ष की नवमी को सतुआन का पर्व मनाया जाता है. इस दिन भगवान सूर्य उत्तरायण की आधी परिक्रमा पूरी कर लेते हैं. आम तौर पर हर साल सतुआन का पर्व 14 या 15 अप्रैल को ही मनाया जाता है. इस बार आज यानी 14 अप्रैल को सतुआन का पर्व मनाया जा रहा है.
गर्मी के मौसम में सत्तू का सेवन करना लाभदायक होता है. इससे गर्मी के प्रभाव और लूट की चपेट में बचा जा सकता है. सत्तू के इस्तेमाल से लू का खतरा कम होता है. सत्तू से शरीर पर ठंडक रहती है. इसके अलावा अगर आपको बार-बार भूख लगती है और आप लंबे समय तक भूखे नहीं रह सकते हैं तो सत्तू आपके लिए फायदेमंद है.

सतुआन की पूजा विधि-
सतुआन पर्व के एक दिन पहले मिट्टी के घड़े में जल को ढंककर रखा जाता है. उस जल को सतुआन के दिन पूरे घर में छिड़काव किया जाता है. माना जाता है कि बासी जल के छिड़काव से घर और आंगन शुद्ध हो जाता है. इस दिन बासी खाना खाने की भी परंपरा है.

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे
Donate Now
               
हमारे  नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट , और सभी खबरें डाउनलोड करें
डाउनलोड करें

जवाब जरूर दे 

क्या आप मानते हैं कि कुछ संगठन अपने फायदे के लिए बंद आयोजित कर देश का नुकसान करते हैं?

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Back to top button
Close
Website Design By Bootalpha.com +91 84482 65129