कर्मयोग के सच्चे साधक थे संत रविदास: पीयूष झा।

उमवि फदरपुर में मनी संत रविदास जयंती

शनिवार को माघी पूर्णिमा के अवसर पर बड़हिया ताल क्षेत्र स्थित उमवि फदरपुर में विद्यालय की बाल संसद के तत्वावधान में सामाजिक समरसता व निष्काम भक्ति के पर्याय संत रविदास की 647 वीं जयंती मनाकर उन्हें नमन किया गया।बाल संसद की उपप्रधानमंत्री रूपा कुमारी की देखरेख में आयोजित जयंती कार्यक्रम में सभी शिक्षकों व छात्रों के द्वारा सर्वप्रथम भक्त रविदास के तैलचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया गया। कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित करते हुए विद्यालय के संस्कृत शिक्षक पीयूष कुमार झा ने कहा कि भक्त रविदास का जन्म 1377 ईस्वी में वाराणसी में हुआ था। एक मोची का काम करते थे तथा भक्ति काव्य के रचनाकार थे। इनका कहना था कि ” मन चंगा तो कठौती में गंगा” अर्थात ये बाहरी दिखावे के विरोधी थे तथा अपने कर्म को ही पूजा मानते थे। इन्होंने ईश्वर के साथ अपने संबंध को चंदन-पानी,मोती -धागा,दीपक व बाती के समान बताया तथा भक्ति मार्ग को पूरी तरह सरल व सुगम बनाने का काम किया।संत रविदास कर्मयोग के सच्चे साधक थे।इस अवसर पर छात्रों के द्वारा संत रविदास अमर रहें का जयघोष किया गया। कार्यक्रम में शिक्षक मुकेश कुमार, प्रीति कुमारी महतो, गोविंद कुमार, जितेन्द्र कुमार आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का समापन वंदेमातरम के सामूहिक गान से हुआ।

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