माफिया के कई मददगार, अतीक ने कबूले 14 नाम, शाइस्ता परवीन को पहुंचाते थे रुपये

माफिया अतीक अहमद छह साल से सलाखों के पीछे रहने के बावजूद अपना साम्राज्य यूं ही नहीं चला रहा था। उसके कई ऐसे मददगार हैं, जो उसके लिए पैसे जुटाते थे। उसके एक इशारे पर पत्नी शाइस्ता परवीन को बताई गई रकम पहुंचा देते थे। बदले में अतीक अपने गुर्गों के जरिये उनकी मदद करता था। फिलहाल उसने ऐसे 14 नाम बताए हैं। माना जा रहा है कि इन पर भी पुलिस शिकंजा कसेगी।

यह खुलासा खुद अतीक ने कस्टडी रिमांड के तीसरे दिन धूमनगंज पुलिस के सामने किया। शुक्रवार देर रात करीब दो घंटे तक अतीक व अशरफ से पूछताछ करने के बाद शनिवार को भी उनसे सवाल पूछने का सिलसिला जारी रहा। सूत्राें का कहना है कि तीसरे दिन अतीक व अशरफ से पूछताछ में पुलिस का जोर इस बात की जानकारी जुटाने पर रहा कि जेल में रहने के बावजूद आखिर दोनों कैसे अपना साम्राज्य चलाते रहे। इस दौरान पूछताछ में यह बात सामने आई कि यह खेल उन मददगारों के जरिये किया जाता रहा, जो माफिया भाइयों के लिए फंडिंग करते हैं।

ज्यादातर प्रॉपर्टी के धंधे में

सूत्रों के मुताबिक अतीक ने जो 14 नाम बताए हैं, उनमें से 11 नाम ऐसे हैं जो मौजूदा समय में प्रॉपर्टी के धंधे में लगे हुए हैं। इनमें कालिंदीपुरम, चकिया, मरियाडीह, बम्हरौली के अलावा असरौली, कौशाम्बी के महगांव और बेली के रहने वाले कुछ प्रॉपर्टी डीलर शामिल हैं। यह किसानाें की जमीन को औने-पौने दामों में एग्रीमेंट करा लेते हैं। इसके बाद इन्हीं जमीनों को प्लाटिंग कर ऊंचे दामों पर बेचकर तगड़ा मुनाफा कमाते हैं।

चुनाव के लिए जुटाई थी रकम

अतीक से पूछताछ में यह बात भी सामने आई है कि पत्नी शाइस्ता को मेयर का चुनाव लड़ने व बसपा में शामिल होने को उसने ही कहा था। उसके पार्टी ज्वाइन करते ही अतीक ने रुपयों का इंतजाम करना भी शुरू कर दिया था। इसी के तहत उसने वर्तमान में लखनऊ में रह रहे मो. मुस्लिम से 80 लाख रुपये लिए थे।

राज खुलने के डर से माफिया अतीक-अशरफ को मौत की नींद सुलाने का शक
उमेश पाल हत्याकांड का राज उगलवाने के लिए चार दिन की पुलिस रिमांड पर लिए गए माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की शहर के बीच मंडलीय अस्पताल के गेट पर सुरक्षा घेरे में हत्या की वारदात ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस दुस्साहसिक दोहरे हत्याकांड के पीछे शक की सुई रसूखदार सफेदपोशों की ओर घूमने लगी है। एक दिन पहले ही धूमनगंज थाने में हुई पूछताछ में माफिया ने कई बिल्डरों और बड़े लोगों से अपने रिश्तों का खुलासा किया था। आशंका है कि राज खुलने के डर से माफिया और उसके भाई की हत्या की गई। फिलहाल पुलिस इस पहलू पर पैनी नजर रखे हुए है।

अतीक अहमद ने रिमांड के दौरान कई सनसनीखेज खुलासे किए और प्रयागराज समेत यूपी भर में अपनी काली कमाई के बल पर खड़े किए गए आर्थिक साम्राज्य में साझीदार के तौर पर कई गण्यमान्य लोगों के नाम गिनाए थे। यह वो लोग हैं जिन्होंने अतीक के काले धन को अपनी कंपनियों में लगाया है। ऐसी दो सौ से अधिक फर्जी कंपनियों के बारे में भी पता चला था। रियल एस्टेट कारोबार में अतीक की कमाई खपाने वालों के अलावा कई सफेदपोशों तक आंच आने लगी थी। इस तरह के 50 से अधिक नामों का अतीक ने पुलिस के सामने खुलासा किया था।

अपराध की दुनिया में दखल रखने वाले माफिया के कई राजनीतिक दलों के नेताओं से भी रिश्ते रहे हैं। अतीक राजनीतिक दलों को साधने में भी बखूबी माहिर था। यही वजह थी कि दो दशकों तक उसकी अंगुलियों पर सरकारें नाचती रहीं और आला पुलिस अधिकारी उसके सियासी रसूख के आगे घुटने टेकते रहे। अतीक के अपराधों की भी लंबी सूची रही है। एक के बाद एक हत्या, अपहरण, जमीन पर कब्जा, हत्या के प्रयास सरीखी सौ से अधिक वारदात को अंजाम देने वाले अतीक ने क्षेत्रीय दलों की सरकारों को अपनी अंगुलियों पर नचाया। लेकिन, इसके पीछे जमीन हड़पना और कमाई को बिल्डरों की कंपनियों में खपाना उसका सबसे बड़ा खेल रहा। योगी सरकार में उसके आर्थिक साम्राज्य पर लगातार चोट पड़ने और 12 सौ करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त किए जाने के बाद भी उसकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा था

 

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