ललन सिंह के इस्तीफे के अंदर की कहानी भी जान लीजिए, पढ़िए वो 14 वजहें

पटना: भले पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह मीडिया पर यह ठीकरा फोड़ते रहे कि बीजेपी के इशारे पर मेरा इस्तीफे की खबर बताकर नैरेटिव सेट करने की कोशिश हो रही है, लेकिन अंततः वही हुआ जो जय भारत .कॉम ने भविष्यवाणी की थी। ललन सिंह ने शुक्रवार जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया और कार्यकताओं का मन रखने के लिए बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने एक बार फिर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी स्वीकार की।

हालंकि मीडिया ने सूत्रों के हवाले से ललन सिंह के इस्तीफे प्रकरण को आवाज दी। लेकिन इसके बहुत से कारण थे जिसके आगे ललन सिंह को इस्तीफा देना था। आइए जानते हैं वह आरोप जो उनके इस्तीफा के मूल कारण बने…
1. ललन सिंह का टर्म पूरा हो चुका था।
2. अध्यक्ष रहते पार्टी के सभी लोगों को साथ नहीं रख सके।
3. एक राष्ट्रीय अध्यक्ष को पार्टी की मजबूती के लिए पदाधिकारियों, विधायकों, सांसदों, मंच मोर्चा और प्रकोष्टों के साथ बैठक भी नहीं करते थे।
4. ललन सिंह के इरोगेंट नेचर के कारण कोई भी सक्रिय नेता उनसे बचता रहा। मिलकर कुछ ऐसी अंदरुणी बात भी नहीं बता सकता जो पार्टी हित में हो।
5. एक खास रणनीति के तहत नीतीश कुमार को कमजोर और असुरक्षित रखने का खेला खेला।
6. एक-एक कर नीतीश कुमार के विश्वसनीय नेता उपेंद्र कुशवाहा, आरसीपी सिंह ,और पूर्व एमएलसी प्रो. रणवीरनंदन को पार्टी छोड़कर जाने के लिए बाध्य किया।
7. 16 सांसदों में से 13 सांसद ललन सिंह से खफा थे।
8. विधायकों की बैठक में नीतीश कुमार को ललन सिंह के अच्छे फीड बैक नहीं मिले।
9. नीतीश कुमार ने स्वयं पार्टी कार्यालय का औचक निरीक्षण कर यह महसूस किया कि पार्टी को सुदृढ़ करने के लिए जो कुछ करना चाहिए वह ललन सिंह नहीं कर सके
10. अशोक चौधरी के साथ ललन सिंह की हुई तकरार से भी अच्छा संदेश नहीं गया।
11. एनडीए का साथ छोड़ कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाने की गलत सलाह ललन सिंह ने दी।
12. इंडिया गठबंधन बनाने और उस गठबंधन में नीतीश कुमार की रणनीति को ठीक तरह से नहीं रखना भी कारण बना।
13. नीतीश कुमार को संयोजक या अन्य कोई महत्वपूर्ण पद दिलाने को लेकर ललन सिंह की कमजोर बैटिंग भी एक कारण बना।
14. और सबसे महत्वपूर्ण कारण बना ललन सिंह का लालू का करीबी होना। यहां आरोप यह लग रहा था कि सरकार गिराने की साजिश में शामिल होकर तेजस्वी को सीएम और ललन सिंह खुद उप मुख्यमंत्री बनना चाहते थे।

 

इन सब आरोपों को नीतीश कुमार गरल की तरह पी जाते अगर वे उनके विश्वास पात्र बने रहते। लेकिन राजनीतिक दिग्गज जो अक्सर कहा करते थे कि नीतीश कुमार उसे पसंद नहीं करते जो उनके धुर विरोधी के साथ आमद रफ्त बढ़ा ले। यही हुआ भी इंडिया गठबंधन में भाया लालू प्रसाद असम्मानित होते रहे नीतीश और उधर, लालू प्रसाद से सीधे मिलते भी रहे। बस यहीं से खींची विरोध की तलवार। लेकिन नीतीश कुमार लोकतंत्र के मजे हुए खिलाड़ी हैं और ललन सिंह के खौफ को भी लोकतांत्रिक तरीके से निपटते सारा ठीकरा कार्यकर्ताओं पर फोड़ डाला।

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